गुरु नानक देव जयंति कि हार्दिक शुभकामनाएं ।
सन 1469 ई में लाहौर के ननकाना साहिब (वर्तमान पाकिस्तान में) में गुरु नानक देव जी का प्रकाश हुआ । सिख-धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी के आगमन के समय देश जटिल समस्याओं से घिरा था।
समाज में अंधविश्वासों, कर्मकांडों एवं बाह्य आडंबरों का बोलबाला था ।समय की आवश्यकता को भांप कर ही उन्होंने 15वीं शताब्दी उत्तरार्द्ध में सिख-धर्म की नींव डाली।
तत्कालीन समाज में व्याप्त हर अन्याय के खिलाफ वे डट कर खड़े रहे। न सिर्फ अपने संदेशों और सिद्धांतों को प्रतिपादित किया, बल्कि व्यावहारिक रूप में अपने उपदेशों पर चल कर लोगों को प्रेरित किया।
नानक नाम जहाज है, चढ़ै सो उतरे पार।
संसार के भवसागर में श्री गुरुनानक जी के उपदेश एक जहाज की तरह हैं, जो हमें डूबने से बचा सकते हैं।
तीन मुख्य सिद्धांत
गुरु जी के जीवन के तीन मुख्य सिद्धांत थे -
नाम जपना : सच्चे मन से ईश्वर की स्तुति करना ही नाम जपना कहलाता है।
किरत करना : मेहनत एवं ईमानदारी की कमाई करने को ही किरत करनी का दर्जा दिया गया है।
वंड छकना : दीन-दुखियों की सहायता करना, बांट कर खाना ही वंड छकना है।

























































